AMAN AJ

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आई नोट , भाग 3

अध्याय-1
    एक बढ़िया ज़िंदगी
    भाग-3
    
    ★★★
    
    तकरीबन 7:30 के आस-पास शख्स अपनी घड़ी को ठीक करते हुए सीढ़ियों से नीचे उतरता हुआ दिखा। उसने पजामा और ब्लैक कलर की टी-शर्ट पहन रखी थी। पैरों में स्लीपर थी जो उसके असल में आने वाले स्लीपरों से एक नंबर बड़ी लग रही थी। 
    
    वह सीढ़ीयों से नीचे उतरने के बाद बिल्डिंग के पार्किंग लोन की तरफ चलता हुआ दिखा। पार्किंग लोन में पहुंचते ही उसने अपनी सेकंड हैंड अल्टो कार का दरवाजा खोला और उसमें बैठ कर उसे स्टार्ट किया। 
    
    कुछ ही देर बाद उसकी कार सड़क पर चल रही थी। उसका एक हाथ स्टेरिंग पर था जबकि एक हाथ खिड़की के ऊपर। चेहरे पर खामोश मुस्कान थी।
    
    अपनी इस मुस्कान के साथ वह अपने मन में बोला “मेरे ख्याल से मेरी कहानी की शुरुआत किसी और एंगल से होनी चाहिए थी। मतलब की अब जैसे लोगों को नहीं पता मेरे मेरी पत्नी से कैसे संबंध हैं। अगर लोग मेरी कहानी को शुरुआत से देखते तो शायद उन्हें पता चलता हम दोनों में कितना प्रेम था। कम से कम 3 साल पहले से। अगर मेरी कहानी 3 साल पहले से शुरु होती तो आप लोगों को कुछ और देखने को मिलता। आप लोग देखते मैंने मेरी पत्नी को कैसे खुश किया था।” वह मुस्कुरा पड़ा “हमारी शुरुआत एक छोटे से रेस्टोरेंट्स से हुई थी। पहली मुलाकात अच्छी नहीं रही थी। मुझे तो ठीक से समझ ही नहीं आया था मैं उससे क्या बोलूं। वह मुझे पसंद आ गई थी। उस दिन के बाद अगले दिन मेरी उससे दोबारा मुलाकात हुई। शायद मैं भी उसे पसंद आ गया था, या फिर वह हमारे रेस्टोरेंट्स के पिज़्ज़ा को पसंद करने लगी थी। अब कुछ भी हो सकता है, मैंने कभी इस पर ज्यादा गौर नहीं किया। उसने उस दिन मुझे स्माइल दी, उसकी स्माइल मुझे अच्छी लगी और मैं उसका पक्का वाला दीवाना हो गया।” गाड़ी कुछ देर तक मेन रोड पर चलती रही, इसके बाद एक गली आई और शख्स ने गाड़ी घुमाते हुए उसे गली में ले लिया। “अब अगर कोई शख्स आपको पसंद आ जाए तो यह जरूरी है कि उसके बारे में जानकारी जुटाई जाए। अगर आपके पास पसंद आने वाले शख्स की जानकारी हो तो आप उसे बेहतर तरीके से इंप्रेस कर सकते हैं। मैंने भी यही किया। अगले 3 दिनों तक 24 घंटे दिन रात एक साएं की तरह उसके साथ जुड़ा रहा। हां उसे इस बारे में पता नहीं था, समझ लो मैं उसे सरप्राइज देना चाहता था।” शख्स ने कंधे उचकाए। वो मुस्करा भी पड़ा था। “3 दिन पूरी जानकारी जुटा लेने के बाद मुझे पता चला इस लड़की ने अपनी आधी से ज्यादा जिंदगी लड़ाई झगड़े और अकेलेपन में गुजारी है। इसके मां बाप, इसके मां-बाप साले आए दिन कुत्तों की तरह लड़ते रहते थे। उपस... बड़ों की रेस्पेक्ट करनी चाहिए। उन्हें साला नहीं कहना चाहिए। हां तो इसके मां-बाप आए दिन कुत्तों की तरह लड़ते रहते थे। उस लड़ाई झगड़े में इसका दिमाग खराब होता था तो और यह अंदर ही अंदर घूटती रहती थी। मैंने लड़की की हालत को ठीक से समझा। फिर एक दिन यह रेस्टोरेंट्स पर आई तो इसे वॉक के लिए ऑफर किया। मैंने यहां डेट काऑफर नहीं रखा, यह निब्बा लोगों का काम है और मैं निब्बा नहीं। वाॅक पर चले तो हमारी जान पहचान हो गई। अगले 3 दिन तक यही होता रहा। फिर इसके बाद....” उसके चेहरे पर अफसोस और पछतावे के भाव आ गए “फिर इसके बाद अचानक इसके मां-बाप की मृत्यु हो गई और यह अकेली पड़ गई। इसका सहारा, इसकी जिंदगी, इसका सब कुछ, इसका सब कुछ छीन गया। हमारे नंबर एक्सचेंज हो गए थे तो उस दिन सबसे पहले इसने मुझे फोन किया। मै इसकी मदद के लिए गया भी। मदद की भी। यह मुझसे लिपट कर रोई, मैंने उस दिन उसे सहारा दिया। फिर 10 दिन सब ठिक होने के बाद मैंने इसे प्रपोज कर दिया और यह मुझे मना नहीं कर सकी। आखिर कोई उस इंसान को क्यों मना करेगा जिसने उसकी मुश्किल हालात में मदद की हो। उसे सहारा दिया हो। यह दुनिया... इस दुनिया में आज भी भलाई करने वाले लोगों की कदर की जाती है।”
    
    गली के आखिर तक पहुंचते-पहुंचते गाड़ी किसी वेयरहाउस जैसी दिखने वाली इमारत के पास आ गई थी। आसपास अंधेरा था और वेयरहाउस के करीब दूर-दूर तक कोई भी दिखाई नहीं दे रहा था। शख्स ने गाड़ी को वेयर हाउस के सामने पार्क किया और नीचे उतरकर गाड़ी लॉक कर दी। गाड़ी लॉक करने के बाद उसने आसपास देखा। आसपास उसे कोई नहीं दिखा तो उसने तिरछी मुस्कान। 
    
    उसने चाबी को हाथ में उछालना शुरू किया और वेयर हाउस की तरफ जाने लगा। “हां मैंने अभी भी थोड़ा सा आलस दिखाया है, मेरी वाइफ की कहानी काफी शॉर्ट में दिखा दी, मगर छोड़ो क्या फर्क पड़ता है, सच्चाई यही है कि हमारी शादी हो चुकी है और हम एक खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं। अब इसके बाद कहानी पता हो ना पता हो.... कौन सा कुछ बिगड़ रहा है। बुद्धिजीवी जरूर बेमतलब का ज्ञान झाड़ेगे, बोलेंगे कहानी की प्लॉटिंग और स्टार्टिंग वाहियात है, मगर मैं ऐसे बुद्धिजीवीयों की बात नहीं सुनता। मेरी कहानी मेरी मर्जी। मैं चाहे इसके साथ कुछ भी करूं उनको क्या।”
    
    वेयरहाउस का छोटा लोहे का दरवाजा खुला हुआ था। शख्स ने दरवाजे को पार किया और लोहे वाले दरवाजे को अंदर से बंद कर दिया। दरवाजे को बंद करने के बाद उसने उसके साथ ही बने दूसरे दरवाजे को भी बंद कर दिया। वह दरवाजा मोटा था और साउंडप्रूफ लग रहा था। पास ही वेअर हाउस का बड़ा दरवाजा था वो भी इसी तरह के एक दूसरे दरवाजे से बंद पड़ा था। 
    
    वहां दरवाजे के पास सिढीयां थी नीचे की तरफ जा रही थी। शख्स सीढ़ियों से नीचे उतरा तो‌ वह एक लंबे पार्टी हॉल में जा पहुंचा। पार्टी हॉल की लाइट जग रही थी और फूल वाला लड़का उसे अलग-अलग जगह से सजाने में लगा हुआ था।
    
    शख्स ने आते ही पहले तो चारों की तरफ घूम कर आसपास की सजावट को देखा, इसके बाद उसने तालियां बजाई और लड़के को शाबाशी देते हुए बोला “वाह मेरे लिटल बॉय, तुम तो अपने काम में पूरी तरह से माहिर हो, मानों बचपन से ही इसका एक्सपीरियंस हो। कोई एक्सपर्ट ही ऐसे काम कर सकता है। ऐसे काम... जिसमें वह किसी तरह की गलती ना छोड़े।”
    
    “बस जनाब सब ऊपर वाले की और मेरे दादा परदादाओं की दया है। हमारा पूरा परिवार यह काम करता आ रहा है, बस पापा ही थे जिन्होंने टीचर की जॉब ज्वाइन कर‌ ली। मुझे मेरे दादा ने फूलों का काम सिखाया और सीखते सीखते... मुझे इस तरह की महारत हासिल हो गई।”
    
    “क्या वो अभी भी इस दुनिया में है...” शख्स एक दीवार के पास जाकर वहां के फूलों को छुकर देखने लगा।
    
    “फिलहाल नहीं... 2 महीने पहले वो भगवान को प्यारे हो गए थे।”
    
    “ओहो... जानकर खुशी हुई...आह... मेरा मतलब अफसोस हुआ। शायद तब तो आज वो काफी खुश होने वाले हैं।” वह मुड़ा और अभिनव के चेहरे की तरफ देखकर बिना किसी भाव वाले शब्दों में कहा “तुम्हारा यह टैलेंट.... तुम्हारा यह काम ऊपर उन्हें खुशी देगा।”
    
    लड़के ने मुस्कुराहट दिखाई और दोबारा अपने काम में लग गया। पार्टी हॉल में एक तरफ कुछ टेबल और कुर्सियां मौजूद थी। शख्स कुर्सियों की तरफ बढ़ा और उसमें से एक कुर्सी निकाल कर बाहर रख ली। वहीं कुर्सियों के पीछे एक कोने पर पुरानी जंग लगी कुल्हाड़ी दिखी जो आधी कपड़ो से ढकी हुई थी। शख्स ने उसे देखा मगर फिर अपना ध्यान हटा लिया।
    
    अपना ध्यान हटा लेने के बाद वह बाहर रखी कुर्सी पर बैठ गया। उसने अपने पैर को दुसरे पैर की लात पर रखा और पजामे की जेब में हाथ डालकर सिगरेट वाली डब्बी और लाइटर निकाल लिया। उसने डब्बी में से एक सिगरेट निकाल कर उसे मुंह में लिया और फिर जलाते हुए उसके कश भरे। 
    
    1-2 कश लेने के बाद उसने लड़के से पूछा “क्या तुमने यहां आने से पहले किसी को बताया था कि तुम यहां आ रहे हो। कोई  इस बात को लेकर चिंता ना करें कि तुम अचानक ऐसे कहां चले गए?”
    
    शख्स ने अपने काम की तरफ ध्यान रखते हुए जवाब दिया “इसमें चिंता कैसी जनाब, सजावट लगभग हो गई है, 20-25 मिनट का काम और बचा है इसके बाद मैं घर चला जाऊंगा। फिर बताने को मैं किस को बताता, मैं फोन युज करता नहीं, और वहां मेरी दुकान के आस पास कोई दुकान नहीं।”
    
    “हां मेरे मामले में भगवान पासे खेलता है।”
    
    शख्स यह बोला तो लड़का उसकी तरफ देखने लगा। “क्या मतलब..!”
    
    “मतलब... मतलब अब कैसे समझाऊं तुम्हें। अच्छा तुम कौन सी क्लास में हो।” उसने सिगरेट को पीना कुछ देर के लिए रोक लिया। “अगर तुम 12वीं क्लास में हो और तुम्हारे पास विज्ञान विषय है तो उसमें आइस्टीन का एक डायलॉग होगा, भगवान कभी पासे नहीं खेलता। मैंने बस उसी डायलॉग का इस्तेमाल अपने स्तर्भं में किया है...। मैंने फिजिक्स में एमएससी कर रखी है तो ऐसे डायलॉग मारना मुझे कभी-कभी पसंद आता है।” उसने अजीब से अंदाज का परिचय दिया, ऐसा अंदाज जो बेतुका और काफी सारे नाटक से भरा हुआ लग रहा था।
    
    “ओह...” अभिनव ने मायुस सा मुंह बना लिया “मेरे पास विज्ञान सब्जेक्ट नहीं, मैं कॉमर्स का विद्यार्थी हूं।”
    
    शख्स ने अपनी मुस्कान गायब की और चेहरे को वापस ख़ामोशी में डुबो लिया। “तब तो तुम्हें कुछ भी नहीं पता होगा।”
    
    इतना कहकर वह वापस अपनी सिगरेट में लग गया जबकि अभिनव फूल सजाने में व्यस्त हो गया। शख्स सिगरेट पीते हुए अपने दिमाग में विचार करता हुए बोला “मैंने अभी-अभी एक बेतुकी बात की ना? बेतुकी बातें करना कभी कभी खुद के लिए अच्छा होता है। हां लोगों को इससे बोरियत महसूस होती है, मगर लोगों ने कौन सा कभी किसी का कत्ल किया है। किसी का कत्ल करने से पहले होने वाली बातों के क्या मतलब होते हैं.... यह बस कत्ल करने वाले को ही पता होता है।” 
    
    वह अपनी जगह से खड़ा हुआ और सिगरेट को नीचे फेंक कर उस पर अपनी चप्पल रगड़ते हुए उसे बुझा दिया। चप्पल रगड़ने के बाद वह पीछे मौजूद कुर्सियों की तरफ जाने लगा। वहां उसने झुकते हुए अपना हाथ कुर्सियों के पीछे की तरफ डाला और कुल्हाड़ी को‌ उठा लिया। कुल्हाडी 2 फीट जितनी थी। ज्यादा बड़ी नहीं और ज्यादा भारी भी नहीं। उसने उसे पीठ के पीछे की तरफ किया और अभिनव की तरफ जाने लगा। 
    
    अभिनव की तरफ जाते वक्त उसने तीखी मुस्कान के साथ अपने मन में कहा “शायद लोग यहां मुझसे यह बात जरूर पूछेंगे कि इस लड़के का क्या कसूर? मेरा इसकी जान लेने की वजह क्या है? तो जवाब में मैं यहीं कहूंगा, यह लड़का मेरे और मेरी बीवी के बीच आ रहा था, इसकी वजह से मेरे बीवी का अटेंशन मुझ पर कम हो रहा था और यह बात मुझे हरगिज मंजूर नहीं। मैं इस बारे में पहले भी बता चुका हूं और अब भी बता रहा हूं। मेरे और मेरी बीवी के बीच कोई भी नहीं आ सकता। अगर कोई भी आएगा तो उसका यही हश्र होगा। हर इंसान के अपने कुछ नियम और कायदे कानून होते हैं.... और मेरे नियम और कायदे कानून यही है...यही की ... मेरी बीवी बस मेरी है... और वह हमेशा मेरी रहेगी।” 
    
    वह अभिनव के पास पहुंच गया था। उसने अपनी अंगुलियों को एक-एक कर पीठ पीछे मौजूद कुल्हाड़ी पर घुमाया। फिर उंगलियों को घुमाना रोका और अपनी पकड़ उस पर कस ली।
    
    
    ★★★

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4 Comments

Sana Khan

03-Dec-2021 07:23 PM

Good

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Seema Priyadarshini sahay

03-Dec-2021 06:26 PM

Nice...Story..

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BhaRti YaDav ✍️

29-Jul-2021 08:21 AM

Nice

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